समूह गान - हिन्द देश के निवासी
प्यारे बच्चों,
आज से हम समूह गीत 'हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं' सीखेंगे जो कि पं. विनय चंद्र जी मौद्गल्य का लिखा हुआ है। आज आप सभी इस गीत को पढ़ाई करने के बाद ध्यानपूर्वक कम से कम 5 बार अवश्य सुने। इस गीत के शब्द भी आपको आज भेज दिए जाएंगे जिन्हें आप अपनी संगीत की कॉपी में नोट कर लीजियेगा। आशा है अब तक का भेज हुआ कार्य आपने पूरा कर लिया होगा।
कविता को सुनने के लिए यहाँ स्पर्श करें
हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं।
अंतरा-1
बेला गुलाब जूही चम्पा चमेली,
प्यारे-प्यारे फूल गुंथे माला में एक हैं।
अंतरा-2
कोयल की कूक न्यारी, पपीहे की टेर प्यारी,
गा रही तराना बुलबुल, राग मगर एक है।
अंतरा-3
गंगा जमुना ब्रह्ममपुत्र, कृष्णा कावेरी,
जाके मिल गई सागर में, हुई सब एक हैं।।
हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं,
रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं।
संगीत एवं शब्द रचना-पं.विनय चंद्र मौद्गल्य।
आज से हम समूह गीत 'हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं' सीखेंगे जो कि पं. विनय चंद्र जी मौद्गल्य का लिखा हुआ है। आज आप सभी इस गीत को पढ़ाई करने के बाद ध्यानपूर्वक कम से कम 5 बार अवश्य सुने। इस गीत के शब्द भी आपको आज भेज दिए जाएंगे जिन्हें आप अपनी संगीत की कॉपी में नोट कर लीजियेगा। आशा है अब तक का भेज हुआ कार्य आपने पूरा कर लिया होगा।
कविता को सुनने के लिए यहाँ स्पर्श करें
हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं।
अंतरा-1
बेला गुलाब जूही चम्पा चमेली,
प्यारे-प्यारे फूल गुंथे माला में एक हैं।
अंतरा-2
कोयल की कूक न्यारी, पपीहे की टेर प्यारी,
गा रही तराना बुलबुल, राग मगर एक है।
अंतरा-3
गंगा जमुना ब्रह्ममपुत्र, कृष्णा कावेरी,
जाके मिल गई सागर में, हुई सब एक हैं।।
हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं,
रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं।
संगीत एवं शब्द रचना-पं.विनय चंद्र मौद्गल्य।