संगीत के पारिभाषिक शब्द


संगीत:  गायन, वादन और नृत्य, इन तीनों विधाओं का सम्मिलित रूप संगीत कहलाता है। वास्तव में ये तीनों कलाएं एक दूसरे से स्वतंत्र हैं, किंतु स्वतंत्र होते हुए भी गान के अधीन वादन तथा वादन के अधीन नृत्य है। 

स्वर:   जब कोई ध्वनि नियमित और आवर्त कम्पनों से मिलकर उत्पन्न होती है तो उसे स्वर कहते हैं। इसके विपरीत जब कंपन अनियमित तथा पेचीदे या मिश्रित हों तो उस ध्वनि को कोलाहल या शोर कहते हैं। सात स्वरों के नाम निम्नलिखित हैं-
सा- षड्ज
रे  -  ऋषभ
ग  - गंधार
म  - मध्यम
प  - पंचम
ध  - धैवत
नि  - निषाद
शुद्ध, कोमल और तीव्र कुल मिलाकर बारह(12) स्वर होते हैं अर्थात 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र।
शुद्ध स्वरों को सा, रे, ग, म, प, ध, नि लिखा जाता है। इन 7 स्वरों के अतिरिक्त 4 कोमल स्वर रे, ग, ध, नि हैं जिनके नीचे आड़ी रेखा खींच कर दर्शाते हैं और उनका स्थान शुद्ध स्वरों से नीचे होता है। तीव्र स्वर केवल म है जो शुद्ध म के अतिरिक्त होता है इसे म के ऊपर खड़ी रेखा खींच कर दर्शाते हैं।इसका स्थान शुद्ध म से ऊपर होता है।
ताल:  ताल वाद्यों के द्वारा संगीत में काल(समय) नापने के साधन को ताल कहते हैं। जैसे- ताल त्रिताल(16 मात्रा), कहरवा(8 मात्रा), दादरा(6 मात्रा) आदि।

सप्तक:  क्रमानुसार सात शुद्ध स्वरों के समूह को सप्तक कहते हैं। सा रे ग म प ध नि।

 *सभी बच्चे कोरोना महामारी से स्वयं को सुरक्षित रखते हुए घर में प्रसन्नचित्त रहें। सभी बच्चों को प्यार एवं दुलार।

सदाशिव गौतम(संगीत शिक्षक), केंद्रीय विद्यालय क्र.1, उदयपुर।

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